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उम्र बढ़ने के साथ बाइपोलर डिसऑर्डर क्यों हो जाता है और जटिल

उम्र बढ़ने के साथ बाइपोलर डिसऑर्डर क्यों हो जाता है और जटिल? जानें विशेषज्ञों की राय

नई दिल्ली। बाइपोलर डिसऑर्डर—a मानसिक स्वास्थ्य स्थिति जो व्यक्ति के मूड, ऊर्जा स्तर और कार्यक्षमता को गहराई से प्रभावित करती है—अक्सर युवावस्था या वयस्क जीवन के आरंभ में सामने आता है। लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, यह विकार और अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण बनता जाता है। मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, उम्रदराज़ मरीजों में बाइपोलर डिसऑर्डर की पहचान, प्रबंधन और इलाज में कई अतिरिक्त बाधाएं सामने आती हैं।

उम्र बढ़ने के साथ क्यों बढ़ती है परेशानी?

डॉ. प्रतिक, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, बताते हैं:

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“बुजुर्गों में बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण कभी-कभी डिमेंशिया या डिप्रेशन जैसी दूसरी स्थितियों से मिलते-जुलते होते हैं, जिससे सही पहचान में देर हो सकती है। साथ ही, उम्र बढ़ने के साथ दवाओं का प्रभाव, सह-रुग्णता (co-morbidity) और शरीर की प्रतिक्रियाएं भी बदल जाती हैं।”

प्रमुख कारण जो उम्रदराज़ मरीज़ों को प्रभावित करते हैं:

  1. शारीरिक बीमारियों की मौजूदगी: उच्च रक्तचाप, मधुमेह, आर्थराइटिस जैसे रोगों के साथ बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज और निगरानी और भी कठिन हो जाती है।

  2. दवाओं की प्रतिक्रिया में बदलाव: बढ़ती उम्र के साथ शरीर की दवाओं को मेटाबोलाइज करने की क्षमता घटती है, जिससे साइड इफेक्ट्स की संभावना बढ़ जाती है।

  3. सामाजिक अलगाव और अकेलापन: वृद्धावस्था में सामाजिक सहभागिता कम हो जाती है, जिससे अवसाद और मूड स्विंग्स अधिक तीव्र हो सकते हैं।

  4. देखभाल की सीमित उपलब्धता: कई बार बुजुर्गों को मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की सही सुविधा या सहयोग नहीं मिल पाता, जिससे स्थिति बिगड़ सकती है।

पहचान और इलाज में आती है देरी

बुजुर्गों में अक्सर बाइपोलर डिसऑर्डर को “उम्र से जुड़ा मूड स्विंग” मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप, मरीज़ समय पर सही उपचार से वंचित रह जाते हैं।

डॉ. प्रतिक का कहना है:

“बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज उम्र के हिसाब से अनुकूलित होना चाहिए। बुजुर्ग मरीज़ों में कम डोज़, नियमित निगरानी और थेरेपी का संयोजन आवश्यक होता है।”

क्या करें?

  • समय पर मानसिक स्वास्थ्य जांच कराएं

  • परिवार और देखभाल करने वालों की भूमिका अहम

  • दवाओं और थेरेपी को नियमित रखें

  • सामाजिक संवाद बनाए रखें

निष्कर्ष

बाइपोलर डिसऑर्डर एक जीवनभर चलने वाली स्थिति हो सकती है, लेकिन सही जानकारी, समय पर निदान और उपयुक्त देखभाल से इसे नियंत्रित किया जा सकता है—भले ही उम्र बढ़ रही हो। जागरूकता और संवेदनशीलता ही इस मानसिक स्थिति को बेहतर ढंग से समझने और प्रबंधित करने की कुंजी है।

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About Editorial Staff

नमस्ते दोस्तों! मैं स्वाति सिंह, एक एडिटोरियल स्टाफ के रूप में कार्यरत हूं। मुझे समाचार से जुड़ी खबरें और लेख लिखना बेहद पसंद है। बस्तर केशरी न्यूज़ पोर्टल में मैं स्वास्थ्य, राशिफल और देश-विदेश से संबंधित खबरें नियमित रूप से साझा करती हूं।

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