तोकापाल CHC में लापरवाही का वीडियो वायरल — डॉक्टर और स्टाफ नींद में मशगूल!
जगदलपुर/तोकापाल से संतोष यादव की रिपोर्ट
तोकापाल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) में स्वास्थ्य सेवा की गंभीर अनदेखी उजागर हुई है। एक वायरल वीडियो में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर और स्टाफ ड्यूटी के दौरान गहरी नींद में सोते हुए नजर आ रहे हैं।
स्वास्थ्य केंद्र, जिसका उद्देश्य ग्रामीण इलाकों के लोगों को 24×7 स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना है, वहाँ के कर्मचारियों की यह लापरवाही आमजनों की जान जोखिम में डाल सकती है। वीडियो में किसी भी तरह की आपातकालीन सतर्कता या सेवा तत्परता नजर नहीं आई, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब इस प्रकार की लापरवाही सामने आई हो — कई बार मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाया और उन्हें जगदलपुर या दूसरे बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया गया।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से उठते सवाल: यह घटना न केवल CHC की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि जवाबदेही तय करने वाला कोई तंत्र सक्रिय नहीं है। सवाल यह है कि क्या इस तरह की लापरवाही पर कोई कार्रवाई होगी या फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
सीरिसगुड़ा स्वास्थ्य केंद्र में पत्रकार पर झूठा छेड़खानी का आरोप?
सीरिसगुड़ा के स्वास्थ्य केंद्र में एक गंभीर मामला सामने आया है जिसने पत्रकारिता की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय पत्रकार द्वारा स्वास्थ्य केंद्र की अव्यवस्थाओं और गायत्री बघेल नामक स्टाफ की लापरवाही को उजागर करने के बाद, संबंधित स्टाफ ने पत्रकार पर छेड़खानी का आरोप लगा दिया।
आरोप लगते ही बिना गहराई से जांच के, पत्रकार को जेल भेज दिया गया — यह घटना अब चिंता और बहस का विषय बन गई है।
पत्रकार ने स्वास्थ्य केंद्र में स्टाफ की ड्यूटी में लापरवाही, मरीजों से दुर्व्यवहार और समय पर इलाज न मिलने जैसी समस्याओं को उजागर किया था। लेकिन खबर सामने आने के कुछ ही दिनों बाद गायत्री बघेल द्वारा पत्रकार पर छेड़खानी का मामला दर्ज करा दिया गया, जिससे कई सवाल उठ रहे हैं कि कहीं यह बदले की भावना से किया गया कृत्य तो नहीं?
स्थानीय पत्रकार संगठनों की प्रतिक्रिया:
कई मीडिया संगठनों और पत्रकार यूनियनों ने इसे प्रेस स्वतंत्रता पर हमला बताया है।
संगठन ने प्रशासन से निष्पक्ष जांच और CCTV व मोबाइल फुटेज की जांच की मांग की है।
यह भी मांग की जा रही है कि यदि आरोप झूठे पाए जाएं, तो झूठा आरोप लगाने वालों पर कार्रवाई हो।
हम सच के लिए कलम चलाते हैं, ना कि झूठ के लिए सलाखों के पीछे जाने को। अगर पत्रकारों को सच लिखने पर जेल भेजा जाएगा तो लोकतंत्र की बुनियाद ही हिल जाएगी।” — स्थानीय पत्रकार संघ का बयान
-सवाल:क्या छेड़खानी के आरोप के पीछे सचमुच कोई आधार था?क्या यह मामला पत्रकार को डराने-धमकाने की साजिश है?क्या प्रशासन ने निष्पक्षता के साथ जांच की?
अब पूरे जिले की निगाहें इस मामले की जांच प्रक्रिया और प्रशासन की निष्पक्षता पर टिकी हुई हैं।
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