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कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में अव्यवस्था: अधिक शुल्क और सुविधाओं की कमी पर सवाल

कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में अव्यवस्था: अधिक शुल्क और सुविधाओं की कमी पर सवाल

कांकेर, छत्तीसगढ़। प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध बस्तर अंचल का कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान अब अव्यवस्था और अनियमितताओं की वजह से चर्चा में है। पर्यटकों के बढ़ते अनुभवों से यह स्पष्ट हो गया है कि जहां एक ओर टिकट शुल्क मनमाने ढंग से वसूला जा रहा है, वहीं दूसरी ओर आवश्यक सुविधाओं का घोर अभाव बना हुआ है।

मनमाने शुल्क वसूली से पर्यटक असहज

स्थानीय प्रशासन द्वारा निर्धारित शुल्क दरों के बावजूद, प्रवेश द्वार पर तैनात कुछ कर्मचारियों द्वारा पर्यटकों से अतिरिक्त शुल्क वसूला जाना आम शिकायत बन चुकी है। बिना किसी रसीद के ली जाने वाली इस राशि को कई पर्यटक भ्रष्टाचार की संज्ञा दे रहे हैं। इससे पर्यटन स्थलों की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

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बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी

उच्च शुल्क वसूली के बाद भी पर्यटकों को अपेक्षित सुविधाएं नहीं मिल रहीं। उद्यान परिसर में स्वच्छ शौचालय, पेयजल, गाइडिंग सूचना, और सुरक्षा व्यवस्था जैसी बुनियादी चीज़ों की भारी कमी देखी जा रही है। इससे आगंतुकों को न केवल असुविधा हो रही है, बल्कि उनकी सुरक्षा भी खतरे में पड़ती है।

शिकायतों पर प्रशासन की चुप्पी

कई पर्यटकों और स्थानीय नागरिकों ने इस संबंध में प्रशासन को शिकायतें भी दर्ज कराई हैं, लेकिन कार्रवाई की रफ्तार या तो बहुत धीमी है या पूरी तरह से अनुपस्थित। इससे यह प्रतीत होता है कि संबंधित विभागों की निष्क्रियता ही अव्यवस्था को बढ़ावा दे रही है।

क्या उठाए जाने चाहिए आवश्यक कदम?

पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटकों का विश्वास बहाल करने के लिए निम्नलिखित कदम तत्काल उठाए जाने चाहिए:

  • टिकट दरों की स्पष्ट जानकारी प्रवेश स्थल पर बड़े सूचना बोर्डों पर प्रदर्शित की जाए।

  • ऑनलाइन टिकटिंग सिस्टम को लागू किया जाए, जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके।

  • पर्यटकों के लिए शौचालय, पानी, दिशा-निर्देश और सुरक्षा व्यवस्था जैसे बुनियादी ढांचे को बेहतर किया जाए।

  • अतिरिक्त शुल्क वसूली और भ्रष्टाचार में शामिल कर्मियों पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

निष्कर्ष

कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान जैसे स्थलों की असली ताकत उनकी प्राकृतिक विरासत में है। लेकिन अगर व्यवस्थाओं में सुधार नहीं किया गया, तो यह पर्यटन की संभावनाओं को सीमित कर देगा। प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल एक पारदर्शी और पर्यटक-मूलक व्यवस्था स्थापित करे, ताकि बस्तर अंचल की पहचान एक बार फिर सुरक्षित और समृद्ध पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित हो सके।

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