नए पूंजीवादी दौर से पहले सरकारों का काम वेलफेयर यानी आम जनता का कल्याण समझा जाता था ၊
फिर 1990 के दशक में आया नया आर्थिक निजाम जिसे उदारीकरण निजीकरण और वैश्वीकरण कहा जाता है ၊
इसके बाद निजी पूंजी सरकारों, नौकरशाही और अदालतों पर कंट्रोल करने लगी ၊
देश के सारे प्राकृतिक संसाधन और बिजनेस प्राइवेट पूंजीपतियों को सौंपे जाने लगे ၊
मजदूरों के अधिकार छीन लिए गए उन्हें कम पैसे पर ज्यादा काम करने को मजबूर किया जाने लगा ၊
खेती बर्बाद करने की पॉलिसीयां बनाई गई ताकि एक दिन खेतों पर भी पूंजीपति कब्जा कर सकें ၊
भारत के जंगल और खदानों पर कब्जा करने के लिए आदिवासी इलाकों में नक्सलवाद के नाम पर भयानक खून खराबा शुरू किया गया ၊
जनता के दिल में यह डाला गया कि अब सरकार का काम वेलफेयर का नहीं बल्कि आपकी सुरक्षा करने का है क्योंकि आप खतरे में हैं ၊
लेकिन खतरा तो था नहीं ၊
तो अमेरिका के नेतृत्व में जिसका पार्टनर भारत भी बना मुसलमानों को नए दुश्मन के रूप में पेश किया गया ၊
इसे इस्लामोफोबिया का प्रोजेक्ट कहा जाता है ၊
इसी के तहत अमेरिका ने सारी दुनिया में आतंकवादी खड़े किए उन्हें हथियार दिए अफीम की खेती और उसको बेचकर उस पैसे से आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला नारको टेररिज्म खड़ा किया जो सीआईए का प्रोजेक्ट था ၊
भारत समेत सारी दुनिया में सरकारों ने खुद ही आतंकवाद खड़ा किया और उसको कुचलने के नाम पर बड़ी तादाद में पैरामिलिट्री फोर्सेस में नए सिपाहियों की भर्ती की नए हथियार खरीदे नए भयानक कानून बनाए ၊
अमेरिका ने तेल और खनिज के लिए मुस्लिम देशों में अपनी फौजी भेजे ၊
भारत में भी नया पूंजीवादी दौर आया और आदिवासी इलाकों में आतंकवाद खत्म करने के नाम पर बड़े पैमाने पर आदिवासियों की हत्याएं की गई ၊
सारे देश में अर्बन नक्सल के नाम पर पूंजीवाद के लूट का विरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेलों में डाला गया उन्हें देश के लिए खतरा बताया गया दमनकारी नए कानून बनाए गए और जनता ने चुपचाप सब कबूल कर लिया ၊
आतंकवाद सरकारों का पैदा किया हुआ खेल है ၊
यह अमीरों द्वारा खेला गया वह खेल है जिसकी आड़ में जनता के टैक्स का पैसा जनता की शिक्षा स्वास्थ्य और कल्याण पर खर्च करने की बजाय अमीरों की सेवा और रक्षा करने वाली सेना और पुलिस के ऊपर खर्च किया जाता है ၊
जनता से कहा जाता है चुप रहो यह राष्ट्र की रक्षा का सवाल है तुम खतरे में हो हम तुम्हारी रक्षा कर रहे हैं ၊
जनता बिना दवाई बिना स्कूल बिना सड़क बिना घर के चुपचाप रहती है और अगर कोई आवाज उठाता है तो उसे देशद्रोही कहकर अमीरों की मीडिया और पाले हुए गुंडे हमला कर देते हैं ၊
यही पूंजीवादी फासीवादी नया निजाम है ၊मोदी इस पूरे निजाम का एक छोटा सा प्यादा है ၊प्यादा महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि यह बदलता रहेगा ၊
असली चीज है यह सिस्टम जिसे आपको समझना पड़ेगा और बदलने के लिए संगठित होना पड़ेगा समझदार बनना पड़ेगा और मिलकर लड़ना पड़ेगा ၊
लेकिन आप संगठित ना हो पाए इसके खिलाफ मिलकर लड़ने ने लगे इसे बदल ना दें इसलिए आपको बांटा जाता है धर्म के आधार पर जाति के आधार पर राष्ट्रवाद के नाम पर ၊
भारत-पाकिस्तान बांग्लादेश समेत दक्षिण एशिया के सभी देश एक जैसी समस्या से ग्रस्त हैं लेकिन यहां के नौजवानों और जनता को धर्म के नाम पर बुरी तरह बांट दिया गया है ၊
हमारा जवाब यह होना चाहिए कि हम अपना बटवारा बंद करें एकजुट हो समझदार बने और अपनी बुरी हालत के लिए जिम्मेदार इस निजाम को बदलने की एक लड़ाई में शामिल हों ၊
मूर्ख बनना बंद कीजिए बुद्धिमान बनिए असली खेल को समझिए ၊धर्म और राष्ट्रवाद आपके खिलाफ सबसे बड़ी साजिश है ၊
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