कांकेर, छत्तीसगढ़ – कांकेर जिले के आमाबेड़ा क्षेत्र से एक दुखद और चिंताजनक घटना सामने आई है, जिसने पूरे प्रदेश के पत्रकारों को आक्रोशित कर दिया है। वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र पटेल के घर में उनकी अनुपस्थिति में पुलिस द्वारा बिना किसी वारंट के तलाशी ली गई। इस घटना ने पत्रकारों पर हो रहे अत्याचारों और उत्पीड़न के खिलाफ विरोध को और भड़का दिया है।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
जानकारी के अनुसार, वीरेंद्र पटेल के घर में पुलिस के जवानों ने बिना किसी वैध वारंट और महिला पुलिस की मौजूदगी के प्रवेश किया। पुलिस ने इसे तलाशी के बहाने से किया, लेकिन पत्रकार जगत में इस घटना को वीरेंद्र पटेल को झूठे मामलों, विशेषकर नक्सली मामलों में फंसाने का प्रयास माना जा रहा है। वीरेंद्र पटेल, जो लंबे समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं, ने पहले ही माओवादियों द्वारा धमकियों का सामना किया है, और अब पुलिस द्वारा इस तरह की कार्रवाई उनके ऊपर दोहरे दबाव का संकेत देती है।
सरकार की नीयत पर सवाल
यह घटना तब हुई जब प्रदेशभर के पत्रकार पहले से ही 2 अक्टूबर को रायपुर में एक विशाल विरोध प्रदर्शन की योजना बना चुके हैं, जिसमें पत्रकारों पर हो रहे अत्याचारों, अवैध गिरफ्तारियों और कानून की अनदेखी का विरोध किया जाएगा। इस घटना के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि वर्तमान सरकार पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को लेकर गंभीर नहीं है। इस मामले ने पूरे प्रदेश के पत्रकारों में आक्रोश भर दिया है और वे इस घटना का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
संयुक्त पत्रकार महासभा का विरोध प्रदर्शन
प्रदेश की राजधानी रायपुर में 2 अक्टूबर को प्रदेश के सभी पत्रकार संघों के नेतृत्व में बने संयुक्त पत्रकार महासभा के नेतृत्व में एक बड़े आंदोलन की तैयारी है। पत्रकार साथी वीरेंद्र पटेल के साथ खड़े होकर इस घटना के विरोध में शामिल होंगे। महासभा ने सभी पत्रकारों से अपील की है कि वे 2 अक्टूबर को रायपुर में एकजुट होकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएं।
वीरेंद्र पटेल का बयान
पत्रकार वीरेंद्र पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मुझे माओवादी पहले ही धमकी दे चुके हैं, और अब पुलिस भी मुझे फंसाने का प्रयास कर रही है। मैं यह लड़ाई अकेला नहीं लड़ सकता, मुझे पत्रकारों का साथ चाहिए।” उनके इस बयान से स्पष्ट है कि स्थिति गंभीर है और पत्रकारिता जगत के लिए यह चिंता का विषय है।
स्थानीय और राज्य स्तरीय प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद राज्यभर के पत्रकार संगठनों में विरोध की लहर दौड़ गई है। पत्रकारों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं स्वतंत्र पत्रकारिता को दबाने का प्रयास हैं, जिसे वे बर्दाश्त नहीं करेंगे। वहीं, अब तक प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई ठोस प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, जो पत्रकारों की नाराजगी को और बढ़ा रही है।
आगे की कार्रवाई
इस घटना के विरोध में 2 अक्टूबर को रायपुर में होने वाले आंदोलन को लेकर अब और ज्यादा उत्साह और एकजुटता देखने को मिल रही है। सभी पत्रकारों से आग्रह किया जा रहा है कि वे इस आंदोलन में भाग लेकर स्वतंत्र पत्रकारिता की रक्षा के लिए अपनी आवाज बुलंद करें।
निष्कर्ष
यह घटना प्रदेश में स्वतंत्र पत्रकारिता पर हो रहे हमलों की एक और कड़ी है। वीरेंद्र पटेल जैसे वरिष्ठ पत्रकार पर हुए इस अन्याय ने पत्रकार जगत को एकजुट कर दिया है, और अब सभी की निगाहें 2 अक्टूबर को रायपुर में होने वाले आंदोलन पर टिकी हैं।
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