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ऑपरेशन खगर को बंद किया जाए, आईटीडीए के 29 विभागों में आरक्षण लागू किया जाए अंतर्राष्ट्रीय विद्वान :डॉ. संतोष कुमार मायपथी

ऑपरेशन खगर को बंद किया जाए, आईटीडीए के 29 विभागों में आरक्षण लागू किया जाए अंतर्राष्ट्रीय विद्वान :डॉ. संतोष कुमार मायपथी

 

भारतीय संविधान अनेक लोगों की मेहनत का परिणाम है। यह भारत के लोगों की स्वर्ण संपदा के लिए तैयार की गई वह पुस्तक है, जो भगवद गीता, कुरान और बाइबिल से भी अधिक श्रेष्ठ मानी जाती है। भारत के लोग 5वीं अनुसूची क्षेत्र में लोगों को दिए गए विशेष अधिकारों, कानूनों, कर्तव्यों और शक्तियों को संविधान द्वारा प्रदत्त एक वरदान मानते हैं, जो उस क्षेत्र में लागू हैं, जहां विश्व प्रसिद्ध भारतीय संविधान प्रभावी है।

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5वीं अनुसूची के लागू होने के बावजूद अन्ना क्षेत्र में जब संवैधानिक अधिकारों का हनन होता है, तब वहां के लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आंदोलन करते हैं। पूर्व में जो ऑपरेशन ग्रीन हंट चलाया गया था, वही अब पुनः ऑपरेशन खगर के रूप में लागू किया जा रहा है। इस ऑपरेशन के कारण 5वीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

 

प्रश्न यह है कि स्वतंत्रता के 78 वर्षों के बाद भी मध्य भारत के लोगों तक सरकारी योजनाएं और सहयोग क्यों नहीं पहुँच पा रहे हैं? सरकारी उदासीनता के कारण वहां के लोग गुरिल्ला युद्ध का सहारा ले रहे हैं। वे यह पहचानने में असमर्थ हैं कि उन्होंने एक खतरनाक रास्ता चुना है। हमारा मानना है कि सरकारें और क्रांतिकारी समूह 5वीं अनुसूची क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी लोगों के मुद्दों को समझने में असफल रहे हैं।

 

1996 में पीईएसए (PESA) अधिनियम लाया और लागू किया गया, लेकिन 2001 में उसमें संशोधन कर उसे कमजोर किया गया। 1/70 अधिनियम का उल्लंघन हुआ, आईटीडीए (ITDA) में 29 विभागों में आरक्षण हटा दिया गया, और जीओ 3 (GO 3) को समाप्त कर दिया गया। चुने गए बुर्जुआ प्रतिनिधियों की नीतियों के कारण लोग विकास से दूर होते गए हैं।

 

सरकारों को याद रखना चाहिए कि अधीर आदिवासी युवा अब गुरिल्ला संघर्ष की राह चुन रहे हैं।उन्हें ऑपरेशन खगर नहीं, बल्कि शिक्षा और रोजगार के अवसर चाहिए। वे अपने क्षेत्र में स्वयं को प्रतिनिधित्व देने के अधिकारों के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं।

 

केंद्र और राज्य सरकारों, सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को विधानसभा में यह बहस करनी चाहिए कि 5वीं अनुसूची क्षेत्र के आदिवासी लोगों को क्या चाहिए और उनका विकास कैसे किया जा सकता है।

नक्सलवाद की समस्या तभी हल होगी, जब ईमानदारी से कानून बनाकर उन्हें लागू किया जाएगा।हमें याद है कि तेलंगाना राज्य के गठन के बाद से ही आदिवासी कानूनों और अधिकारों का उल्लंघन होता आया है।

आदिवासी लोगों का कहना है कि यदि सरकार बदलेगी, तो उनका जीवन भी बदलेगा। 5वीं अनुसूची के अधिकार लागू होंगे और आईटीडीए के माध्यम से आरक्षण बहाल कर नौकरियों और रोजगार के अवसर बेहतर बनाए जा सकेंगे।

 

अब तक लोगों के साथ न्याय नहीं हुआ है और शासक वर्ग उस दिशा में सोचता भी नहीं दिखाई देता।उच्च स्तरीय समितियों के नाम पर उन्हें छलावा दिया गया है।हर गांव का पढ़ा-लिखा युवा अपनी डिग्री हाथ में लिए एजेंसी क्षेत्र में विशिष्ट नौकरियों की अधिसूचना में आरक्षण लागू होने का इंतजार कर रहा है।

 

यदि प्रशासन और सरकार इसी तरह कार्य करती रही, तो आदिवासी युवा गुरिल्ला संघर्ष की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।सरकारों को इस खतरे को पहचानना चाहिए।

 

सरकार को ऑपरेशन खगर को तुरंत बंद करना चाहिए, 5वीं अनुसूची क्षेत्र में आदिवासी लोगों के विकास हेतु आईटीडीए को सशक्त बनाना चाहिए, 29 विभागों में आरक्षण पुनः लागू करना चाहिए, एजेंसी की नौकरियों की अधिसूचना जारी करनी चाहिए और रोजगार के अवसरों में सुधार करना चाहिए।

 

वे चाहते हैं कि आदिवासी युवा, बेरोजगार और छात्र संघर्ष की ओर कदम न बढ़ाएं, बल्कि संविधान प्रदत्त अपने 5वीं अनुसूची के अधिकारों की रक्षा करें और सम्मानजनक जीवन है 

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About संतोष यादव

संतोष यादव, बस्तर केसरी न्यूज़ के मुख्य संपादक, निष्पक्ष और सत्य पत्रकारिता के लिए समर्पित एक जिम्मेदार और अनुभवी मीडिया पत्रकार हैं। बस्तर केशरी न्यूज़ का मुख्य उद्देश्य बस्तर की धरती से, सच्चाई की खबर आप तक पहुचाना हैं!

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