मेरे प्रिय बुद्धिजीवी दोस्तों ၊आइये आज बुद्धि का सचमुच इस्तेमाल करते हैं ၊युद्ध कौन लड़ता अगर आपका जवाब है कि युद्ध सेना लड़ती है तो यह गलत जवाब है ၊क्या कोई सिपाही सीमा पर अपनी मर्जी से गोली चला श्री : हिमांशु कुमार
नहीं सिपाही अपनी मर्जी से गोली नहीं चला सकता ၊वह हमेशा ऊपर से आदेश मिलने पर ही गोली चलाता है ၊क्या सेना का कोई अफसर अपनी मर्जी से सिपाही को गोली चलाने का आदेश दे सकता है ?
नहीं सेना का कोई अफसर अपनी तरफ से युद्ध शुरू नहीं कर सकता ၊सीमा पर गोली चलाकर युद्ध शुरू करने का फैसला हमेशा सरकार ही लेती है ၊इसका अर्थ है युद्ध सरकार लड़ती है जिसमें सेना का इस्तेमाल किया जाता है ၊
यानी युद्ध एक राजनीतिक फैसला है ၊युद्ध शुरू करने का फैसला राजनीतिक नेता लेते हैं ၊यानी युद्ध भी एक राजनीति है ၊इसलिए जो लोग यह कहते हैं कि युद्ध को राजनीति से अलग रखो वह लोग तथ्यात्मक रूप से गलत बयान दे रहे हैं ၊यद्ध एक राजनीतिक फैसला है और राजनीति का ही एक तरीका है ၊
इसलिए युद्ध पर नागरिकों द्वारा बात किया जाना हर नागरिक का अधिकार ही नहीं बल्कि उसका कर्तव्य भी है कि वह युद्ध पर बात करे ၊क्योंकि युद्ध का असर व्यक्ति के घर परिवार शिक्षा स्वास्थ्य रोजी-रोटी हर चीज पर पड़ता है ၊
सरकार अपने देश में घटने वाली घटनाओं के लिए दूसरे देश पर इल्जाम लगाकर उस पर हमला करती है ၊पलट कर दूसरे देश की सरकार अपनी फौज से हमले का बदला लेने के लिए आदेश देती है ၊
इसमें सिपाही मारे जाते हैं जो किसानों के बच्चे हैं ၊इसके अलावा दोनों देशों के निर्दोष नागरिक महिलाएं बुजुर्ग और बच्चे भी मारे जाते हैं ၊
युद्ध जिस उद्देश्य का प्रचार करके शुरू किया जाता है युद्ध से वह उद्देश्य कभी प्राप्त नहीं होता ၊अमेरिका अफगानिस्तान में आतंकवाद खत्म करने आया था उसके अपने 7000 सिपाही मारे गए और उसके बाद अमेरिका जैसी महाशक्ति को वापस खाली हाथ लौटना पड़ा कोई आतंकवाद खत्म नहीं हुआ ၊
आतंक को खत्म करने का रास्ता ही दूसरा है ၊आतंकवाद खत्म करने के उस तरीके पर समाज का बिना मेहनत किए अय्याशी का जीवन जीने वाला बिना कुछ पैदा किए उपभोग करने वाला शहरी वर्ग कभी बात नहीं करना चाहता ၊
जो समाज गरीब मजदूर किसान औरतें अल्पसंख्यकों कमेरी जाति वालों के शोषण और दमन पर आधारित हो उसमें कभी आतंकवाद खत्म नहीं होगा और शांति नहीं आएगी ၊
भारत और पाकिस्तान दोनों के समाज भयानक असमानता शोषण दमन भेदभाव धार्मिक कट्टरता में गले तक डूबे हुए हैं ၊
ऐसे समाजों में आतंकवाद जरूर पनपेगा उसे कोई नहीं रोक सकता ၊समाज में स्थाई शांति का रास्ता न्याय से होकर गुजरता है ၊
लेकिन न्याय की बात करने वाले को आप नक्सलवादी देशद्रोही विकास विरोधी कहकर चुप कर देते हैं जेल में डाल देते हैं मार डालते हैं ၊
और फिर आप अपनी सरकार से कहते हैं की इन लोगों को मार डालो जेल में डाल दो युद्ध करो युद्ध के द्वारा शांति स्थापित करो ၊लेकिन मैं आपको बताता हूं युद्ध से कभी शांति की स्थापना नहीं होती उससे एक और भविष्य के युद्ध की नींव डाली जाती है ၊
युद्ध मुक्त समाज तभी बनेगा जब आप अपनी गलती कबूल करेंगे उसे ठीक करेंगे और एक न्याय प्रिय समाज बनाएंगे क्योंकि वही एक शांति युक्त समाज होगा ၊
एक दूसरे पर इल्जाम लगाने एक दूसरे के सिपाही और नागरिकों की हत्या करने और अपने-अपने समाज में भयानक अन्याय और कट्टरता को बनाकर रखने वाले समाज में शान्ति और सुरक्षा की कल्पना करना ही बेकार है ၊
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