महात्मा ज्योति राव गोविंद राव फुल पर निर्धारित फिल्म जगदलपुर के अनुपम टॉकीज पर उमड़ी अत्यधिक भीड़ जिस फिल्म को लगातार बायकाट करने की प्रयास की गई थी ,
इस फिल्म को बस्तर में लगवाने और चलाने की मांग भीम आर्मी भारत एकता मिशन के कार्यकर्ताओं तथा ऑल इंडिया परिषद के अध्यक्ष माननीय श्री सतीश वानखेड़े जी का अत्यधिक प्रयास के बाद इस फिल्म को जगदलपुर के अनुपमा टॉकीज पर लगाया गया।
महात्मा ज्योति राव फुले जी तथा माता सावित्रीबाई फुले पर निर्धारित फिल्म को बहुत से जाती विवादित लोगों ने बायकॉय करने का प्रयास किया और उनके द्वारा समाज में किए गए कार्य को जनता तक ना पहुंचाई जाए इस पर अत्यधिक रोकथाम की गई।
भारत के महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा गोविंद राव फुले जी उन्होंने भारतीय समाज के जाति आधारित भेदभाव उच्च नीच और छुआछूत की भावना को कम किया उसमें ज्योति राव फुले जैसे महान महापुरुषों की अहम भूमिका रही है ।
समाज के वंचित पीड़ितों के हक अधिकार के लिए उनकी पत्नी माता सावित्रीबाई फुले ने अपना जीवन निछावर कर दिया वर्ष 1848 में को खोल लड़कियों के लिए स्कूल महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने मिलकर पुणे के भिड़े वाड़ा में लड़कियों के लिए स्वदेशी रूप से संचालित स्कूल खोला ।
महात्मा ज्योतिबा फुले जी ने विधवाओं की स्थिति को समझा और विधवाओं के लिए आश्रम की स्थापना की बाद में उन्होंने विधवा पुनर्विवाह के लिए लोगों को जगाना शुरू किया महात्मा फुले जी समझ चुके थे कि सदियों से चली आ रही रूढ़िवादी परंपरा से लड़ने के लिए एक संगठन होनी चाहिए यही वजह रही उन्होंने सत्यशोधक समाज नाम की संगठन की गठन की ।
सामाजिक बदलाव के अपने मिशन में महात्मा फुले ने अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को भी हर कदम पर साथ रखा उन्होंने माना था कि समाज में बदलाव की शुरुआत अपने ही घर से हो।
महात्मा फुले ने गुलामगिरी नामक एक किताब लिखी । जिसमें उन्होंने जाति आधारित व्यवस्था व भेदभाव छुआछूत को उजागर किया और उस व्यवस्था के खिलाफ तर्क दिए उनका कहना था यदि ईश्वर एक है और उसी ने सभी मनुष्यों को बनाया है तो समझ में एक दूसरे में भेदभाव क्यों?
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