मुरतोंडा पोटाकेबिन आश्रम में छात्राओं को झाडू पकड़ा कर भविष्य गढ रहे हैं।
चुनाव प्रभारी सेवादल सुकमा :
अजय श्रीनिवास
सुकमा : जिले में आदिवासी बच्चों को मुख्यधारा से जोड़ने के उद्देश्य से शुरू किए गए पोटाकेबिन आश्रम मुरतोंडा आज खुद असंवेदनशील व्यवस्था और कमजोर प्रबंधन की जकड़ में फंसे हुए हैं।
आपको बता दें कि अधिक्षिका की लापरवाही के कारण चपरासियों को पोटाकेबिन के आंगन को साफ़ सफाई कराने के बजाय छात्राओं को झाडू पकड़ा कर साफ़ सफाई कराया जाता है, आज़ बस्तर समय समाचार उन बच्चों को झाडू पकड़ कर साफ सफाई करते हुए
कैमरे में कैद हुए है, दरअसल सुत्रो के जानकारी के अनुसार बच्चों को कई ऐसे कार्य कराने की बात सामने निकलकर आई कि बच्चों को गोबर उठा कर लाना बिजली गुल होने से पानी ढुलाई करना आदि जैसे कार्य कराया जाता है, लेकिन चपरासियों को नियुक्त किया गया है, किस कार्य के लिए नियुक्त किया है।
पोटाकेबिन में भविष्य गढ़ रहे बच्चों के लिए चुनौतियाँ अनेक, समाधान की जरूरत अधिक्षिका की अनदेखी की लापरवाही के कारण बच्चों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, इस तरह का काम कराना निंदनीय है।
बच्चों के भविष्य के साथ खेलवाड़, सवाल खड़े हो रही।
पोटाकेबिन मुरतोंडा में छात्राओं से सफाई का काम करवाया जा रहा है, तो यह एक गंभीर मुद्दा है और इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. इस मामले को पोटाकेबिन प्रशासन, शिक्षा विभाग, या अन्य संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाया जाना चाहिए, ताकि इस पर उचित कार्रवाई की जा सके।
बड़ी इरादे छोटी व्यवस्थाएं।
पाथ-साथ बच्चों की देखभाल, भोजन, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे दायित्व भी इन्हीं अनुदेशकों के कंधों पर हैं। यह स्थिति न सिर्फ बच्चों .क विकास के लिए हानिकारक है, बल्कि उनके समग्र जीवन विकास को भी प्रभावित कर रही है।
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