द्वारा-माननीय आयुक्त महोदय आयुक्त कार्यालय बस्तर जगदलपुर बस्तर संभाग के स्थानीय समस्याओं के निराकरण हेतु ज्ञापन
पत्रकार : संतोष यादव
बस्तर संभाग में स्थानिय समस्याओं को लेकर भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी निरन्तर संघर्ष करती रही है। अभी तक भाकपा द्वारा किये गये संघर्षों के बल पर देश के ताकतवर पूंजीपति घरानों को बस्तर के किसानों की जमीन हड़पने से रोका जा सका है, और लोह अयस्क जैसे विश्व प्रसिद्ध खदानों को निजी पूंजीपतियों के हाथ जाने से रोक दिया गया है।
भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी का मकसद कभी भी सत्तासीन होकर सत्ता का सुख भोगना नहीं रहा है, बल्की जमीनी स्तर पर संघर्ष करते हुए आम जनता के अधिकारों के लिए निरन्तर सक्रिय रहना है। लोकतन्त्र की मुल अवधारणा जनता का जनता के लिए जनता के द्वारा चुनी गई सरकार से है।
वर्तमान में ऐसी परिस्थितियां निर्मित होती जा रही है कि जनता तो लोकतान्त्रिक तरीके से अपना जनप्रतिनिधि चुनती है, लेकिन जनप्रतिनिधि चुने जाने के बाद जनप्रतिनिधि अपने आप को स्वामी समझकर मनमाने तरीक से फैसला लेने लगे है। भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी लोकतन्त्र की मुल अवधारणा तथा आम जनता के हितों की रक्षा के लिए सत्त संघर्ष कर रही है
ताकि लोकतन्त्र की रक्षा किया जा सके। भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी अपने सैद्धांतिक विचारधारा के तहत आम जनता के हितों की रक्षा, मुलभुत समस्याओं का समाधान, आम जनता के बीच रहते हुए जनता से रायशुमारी के बाद सर्वसमिति से निर्णय लेकर आम जनता से कंधे से कंधा
कमशः पेज कमांक-2. मिलाकर कार्य करने का वादा करती है। कांग्रेस व भाजपा की पूंजी लोलुपता के कारण पुरा बस्तर संभाग अशांत क्षेत्र हो चुका है।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद सरकार प्रायोजित सलवाजुडूम व धर्मान्तरण जैसी सरकार प्रायोजित ग्रहयुद्ध से बस्तर संभाग के हजारों आदिवासियों की हत्या, गांवों को उजाड़ना, आगजनी, बलात्कार, वन सम्पदा तथा खनिज संसाधनों की लुट, जल जंगल-जमीन से
आदिवासियों की बेदखली, प्रायोजित तरीके से मुल निवासियों को आपस में लड़ाना, हिन्तुत्व की आड़ में दुसरे सम्प्रदाय के विरुद्ध जहर उगलने वालों को संरक्षण देने का कार्य दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस कर रहीं है। भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी बस्तर संभाग में शांति, सद्भाव और भाईचारे की संस्कृति की स्थापना के लिए सत्त प्रयासरत है। भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी बस्तर संभाग के विकास हेतु
माननीय महोदय के समक्ष निम्न मांगे रख रही है:-
1. बस्तर संभाग के चतुर्थ व तृतीय श्रेणी के सभी भर्तियों में स्थानीय युवाओं को 100 प्रतिशत प्राथमिकता दिया जाये तथा समय-समय पर होने वाले एन०एम०डी०सी० तथा अन्य भर्तियों में पूरे के पूरे स्थानीय बेरोजगार युवाओ को ही लिया जाये।
2. बस्तर संभाग के खनिज खदानों के सर्वेक्षण के नाम पर ग्रामीणों को प्रताड़ित किया जाना तत्काल बंद किया जाय। तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा लीज पर लेकर उत्पादन कार्य किया जाए तथा लीज पर देने से पूर्व ग्राम पंचायतों की अनुमति आवश्यक बनाई जाए।
निजी क्षेत्र की कम्पनीयों को खदानें लीज पर प्रदाय किये जाने की व्यवस्था पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगाया जाए। निजी कम्पनीयों के साथ किये गय एमओयू तत्काल रद्द किये जांय।
3. बस्तर संभाग में खान-खनिजों के दोहन के लिए निजी व बहुराष्ट्रीय कम्पनीयों के प्रवेश पर तत्काल रोक लगायी जाये तथा उद्धोगों की स्थापना के लिए भूरिया समिति की सिफरीशों को लागु किया जाये व बस्तर संभाग के स्थानीय लागों की समिति बनाकर राज्य खनिज निगम की देख-रेख में उत्खन्न कार्य किया जावे।
4. बस्तर संगाग में वर्ष 2025 में तेन्दु पत्ता की तोड़ाई ना के बराबर की गई है जिससे तेन्तुपता संग्राहकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सीपीआई बस्तर संभाग मांग करती है कि तेन्दुपता संग्राहकों को 2024 में उनके द्वारा संग्रह किये गये तेन्दुपता के मानक के आधार पर 2025 में भुगतान सुनिश्चित किया जाय।
तथा वर्ष 2023-2024 को तेन्दु पता संग्रहण राशि का बोनस भुगतान जो आज दिनांक तक प्रदाय नहीं किया गया है तत्काल भुगतान किया जाय। तेन्तुपत्ता व्यवसाय में बदलाव किया जाए और स्थानीय बेरोजगार युवाओं के समुह को ठेका दिया जाए।
क्रमशः पेज कमांक-3. 5. बस्तर संभाग में संचालित सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था एन०एम०डी०सी० द्वारा स्थापित नगरनार स्टील प्लान्ट व अन्य खान-खदानों तथा उद्धोगों का केन्द्र एवम् राज्य शासन द्वारा निजीकरण का जो प्रयास किया जा रहा है उस पर तत्काल रोक लगाई जाय। सार्वजनिक क्षेत्र के खदानों व उद्धोगों में निजी ठेकेदारों को पेटी ठेका देना तत्काल बंद किया जाय।
6. बस्तर संभाग के सभी जिला मुख्यालयों में चिकित्सा महाविद्लयों की स्थापना की जाय ताकि बस्तर संभाग के अधिक से अधिक छात्र चिकित्सा की पढ़ाई कर सके। सभी जिला चिकित्सालयों की दशा को सुधार कर अत्याधुनिक सर्वसुविधायुक्त बनवाया जाए, तथा सभी जिला अस्पतालों में आपतकालीन सुविधा व बर्न यूनिट व अन्य सुविधाओं की स्थापना कर सम्पूर्ण सुविधा उपलब्ध कराकर सुचारु संचालन की व्यवस्था की जाए।
7. बस्तर संभाग के सभी विकाशखण्डों में व्यवसायिक शिक्षा केन्द्रो की सथापना की जाए, तथा शिक्षा को रोजगार उन्मुख बनाया जाए। शिक्षकों को अनावश्यक गैर शिक्षकीय कार्यों में नहीं लगाया जाए। तथा ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षको की उपस्थिति सुनिश्चित कराया जाए।
8. बस्तर संभाग के सभी जाति वर्ग के लोगों को जो वन भूमि पर वर्ष 2005 के पूर्व से काबिज काश्त हैं उन्हें वरियता के आधार पर अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2008 के प्रावधानों के तहत वनाधिकार प्रपत्र प्रदान किया जाये।
9. बस्तर संभाग में स्थापित सभी उद्योगों में स्थानीयों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार देना सुनिश्चित किया जाएगा। बस्तर संभाग में सी.एस.आ. (कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) के लिए रक्षित फण्ड स्थनीय पंजीकृत शिक्षित बेरोजगारों को स्कील डेवेलपमेंट व रोजगार भत्ता के रुप में देना सुनिश्चित किया जाए।
10. महात्मा गांधी रोजगार गांरटी योजना के तहत कार्य करने वाले मजदुरों की मजदुरी का तत्काल नगद भुगतान किया जायेगा।
11. प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्ग्रहियों को निर्माण सामाग्री व मजदुरी का भुगतान तत्काल किया जायेगा।
12. सार्वजनिक वितरण प्रणाली को चुस्त दुरुस्त कर उचित मुल्य की दुकानों का स्थाई निर्माण कर सभी आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं का वितरण एवम् बिकी की पर्याप्त व्यवस्था की जाए। आपातकाल स्थिति के लिए पंचायत स्तर पर अनाज भण्डारण व उचित देखरेख की व्यवस्था की जाए।
13. बस्तर संभाग में राज्य सरकार शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण के नाम पर अंदरुनी क्षेत्र के स्कुलों को जिन्हें बंद किये जाने का प्रयास किया जा रहा है, तत्काल प्रारंभ किया जाय। तथा युक्तियुक्तकरण की वर्तमान नीति को तत्काल रद्द किया जाय और 2008 के सेटअप को यथावत रखा जाय ।
निवेदन है कि इस ज्ञापन के सभी मांग बस्तर संभाग की स्थानीय समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत किया गया है। आशा है कि माननीय महोदय जो इस ज्ञापन पर सहानुभूति पूर्वक विचार करके उपरोक्त मांगो की मंजुरी से हमें सूचित कराने की कृपा
करेंगे अन्यथा इन न्याया पूर्ण मांगो को लेकर उग्र आन्दोलन शुरु करने के लिए भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी बस्तर संभाग को बाध्य होना पड़ेगा जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन
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