भीम आर्मी ने बनाया धूमधाम के साथ बुद्ध पूर्णिमा के दिन भीम आर्मी के के द्वारा जगदलपुर के शहरों में शरबत वितरण किया गया
भीम आर्मी बस्तर संभाग में बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर पूरे विश्व को शांति और अहिंसा का संदेश देने वाले तथागत गौतम बुद्ध जिनकी शिक्षा और मार्ग पर पूरा विश्व चलता है जगदलपुर शहर गुरु गोविंद सिंह चौक में शहर बात वाडकर बनाई गई बुद्ध पूर्णिमा
भीम आर्मी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भीम आर्मी संगठन के साथ बुद्ध वंदना की तथागत गौतम बुद्ध की शिक्षाओं को बताया और लोगों को शरबत बताकर बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं दी
पूरे विश्व में तथागत गौतम बुद्ध सत्य अहिंसा और शांति का प्रतीक माने जाते हैं तथागत गौतम बुद्ध का जन्म भारत देश की बिहार में लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था बुद्ध धर्म का प्रारंभ भारत देश से हुआ है
आज चीन जापान थाईलैंड मलेशिया हॉन्ग कोंग जैसी पूर्ण विकसित देश बौद्ध धर्म के अनुयाई हैं और उनके दिए हुई शिक्षा का अनुसरण करते हैं
अखंड भारत के सम्राट अशोक ने भी अहिंसा का मार्ग छोड़कर जब शांति की खोज में निकले तो उन्होंने पूरे विश्व में बौद्ध धर्म की प्रचार कराया भारत में तथा गौतम बुद्ध की मूर्तियां स्तूप मंदिरों का निर्माण कराया
और गौतम बुद्ध के नाम पर कई शैक्षणिक संस्थाओं का निर्माण किया जहां ऐतिहासिक भारत में शिक्षा दी जाती थी अखंड भारत सम्राट अशोक के समय ही पूरा बुद्ध नहीं था जिसे हम आज जानते हैं
बुद्ध धर्म पूर्ण रूप से अहिंसा और शक्ति पर चलता है पाखंड और अंधविश्वास का पूरा विरोध करता है इसी कारण सम्राट अशोक के बाद कई बाहरी शक्तियों के द्वारा बुद्धिस्तु को स्मृतियां और मंदिरों को तोड़ा गया
आज भी पूरे विश्व में तथागत गौतम बुद्ध को बोधिसत्व देने वाला स्थान बुद्ध गया जहां जी पेपर पीपल के पेड़ के नीचे तथागत गौतम बुद्ध को बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी आज भी गैर मूल निवासियों की कब्जे में है
लगातार भारत से बाहर से आए हुए लोगों ने बुद्ध की मूर्तियां इस स्तूपों को तोड़ा है आज भी पुरातन विभाग द्वारा कई मंदिरों की जांच से पता चलता है कि यह गौतम बुद्ध की मूर्तियां और सम्राट अशोक के कार्यकाल में बने हुए बुद्ध मूर्तियां हैं
बिहार के बोधगया में स्थित बौद्ध मंदिर पूरे विश्व में बौद्ध धर्म का एक प्रतीक है इस मंदिर को भी राजनीतिक और पाखंड बात से बचने के लिए हम सभी भारतवासियों से भीम आर्मी अपील करती है
कि इस मंदिर को बुद्ध मंदिर ही रहने दे और इस मंदिर का बागडोर बौद्ध धर्म की बौद्ध भिक्षुकों के हाथ में ही दिया जाए जिससे तथागत गौतम बुद्ध का अस्तित्व उन्हीं के जन्म स्थान और उन्हीं के देश में बचा रहे
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